Friday 28 January 2022

रामबाबू

रामबाबू यादव जौनपुर जिला के गुलजार गंज बाजार के रहने वाले हैं सादा जीवन और सादा विचार, न किसी से कुछ लेना न देना, मस्त मौला जीवन, काम मिला तो मजदूरी कर ली वर्ना शहर के चक्कर लगा रहे हैं, विवाह उनका हुआ नहीं, गांव में एक भाई है जो शायद उनकी जमीन पर खेती करता है, रामबाबू मेहनत मे विश्वास रखने वाला व्यक्ति है, किसी ने जूता दे दिया तो पहन लिया, किसी ने कपड़े दे दिये तो पहन लिया हाँ सिगरेट पीने के शौकीन हैं और कैप्टन उनका ब्रांड है नगर के प्रमुख चौराहे के निकट एक कोयला व्यवसायी के बरामदे में रात बीत जाती थी कुछ दिनों के बाद रोडवेज के एक मंदिर मे उनका ठिकाना बन गया है,
रमता जोगी बहता पानी सुना तो था पर रामबाबू को देखने के बाद इसे सही अर्थों में महसूस किया है, लोग कहते हैं कि वे कम दिमाग के हैं लेकिन अपनी मजदूरी मे कोई कमी वो स्वीकार नहीं करते हैं, बूढ़ा कहने पर नाराज हो जाते हैं और पचास साल से अधिक उम्र का हो जाने के बाद भी विवाह कर के गांव में रहने का उनका सपना मन को द्रवित कर देता है,
भारतीय जनता दुनिया की सबसे गरीब जनता मे से एक है, कम से कम मे जीवन निर्वाह की कला दुनिया हम भारतीयों  से विश्व को सीखना चाहिए, जुगाड़ किसी भी तरह का हो हम भारतीय इसमे विशेष पारंगत हैं,
भारत को हमेशा आक्रमणकारियों ने लूटा लेकिन हम भारतीय सदा अपने कार्य में सक्रिय रहे, गांधी जी की अहिंसा की शिक्षा सदियों से प्रचलित भारतीय परंपरा का ही एक हिस्सा है
भारत में कितने ही रामबाबू आपको रेलवे-स्टेशन, या फुटपाथ के किनारे आसरा लिए मिल जाएंगे.
जब भी मैं रामबाबू को देखता हूं तो मुझे लगता है कि कम से कम मे व्यक्ति बिना किसी विषाद के कैसे रह सकता है रामबाबू की इस गरीबी या अवस्था का कारण क्या वो विदेशी आक्रमणकारी नहीं है?  पिछले हजारों वर्षों से जो इस देश को लूटा गया है क्या उसका दुष्परिणाम रामबाबू को नहीं झेलना पड़ रहा है?
किसी भी देश को सबसे अधिक अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए और अपनी गरीबी को दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए.